募捐 9月15日2024 – 10月1日2024 关于筹款

सत्यार्थ प्रकाश (Satyarth Prakash)

सत्यार्थ प्रकाश (Satyarth Prakash)

दयानन्द सरस्वती, Dayanand Saraswati
0 / 4.5
0 comments
你有多喜欢这本书?
下载文件的质量如何?
下载该书,以评价其质量
下载文件的质量如何?
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे। उनका बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। उन्होंने ने 1874 में एक आर्य सुधारक संगठन - आर्य समाज की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक महान चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। स्वामीजी ने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। स्वामी दयानन्द के विचारों से प्रभावित महापुरुषों की संख्या असंख्य है, इनमें प्रमुख नाम हैं- मादाम भिकाजी कामा, पण्डित लेखराम आर्य, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी, श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर, लाला हरदयाल, मदनलाल ढींगरा, राम प्रसाद 'बिस्मिल', महादेव गोविंद रानडे, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय इत्यादि। स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लाला हंसराज ने १८८६ में लाहौर में 'दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज' की स्थापना की तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने १९०१ में हरिद्वार के निकट कांगड़ी में गुरुकुल की स्थापना की। सत्यार्थ प्रकाश की रचना आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने की। यद्यपि उनकी मातृभाषा गुजराती थी और संस्कृत का इतना ज्ञान था कि संस्कृत में धाराप्रवाह बोल लेते थे, तथापि इस ग्रन्थ को उन्होंने हिन्दी में रचा। कहते हैं कि जब स्वामी जी 1872 में कलकत्ता में केशवचन्द्र सेन से मिले तो उन्होंने स्वामी जी को यह सलाह दी कि आप संस्कृत छोड़कर हिन्दी बोलना आरम्भ कर दें तो भारत का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिन्दी ही रखी।
年:
2005
出版社:
Vaidic Pustakalay Ajmer
语言:
hindi
页:
785
ISBN 10:
8188834270
ISBN 13:
9788188834273
文件:
PDF, 3.02 MB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi, 2005
线上阅读
正在转换
转换为 失败

关键词